Saturday, December 25, 2010

क्यों हमे मुस्कुराने की आदत है
या यूँ कहे तुझे सोचने की आदत है
आज कल हर ख्यालो में तू है
तेरी मुस्कान से हर सुरुआत हर अंत है
आँखें खोलू तेरी सूरत है
बंद करू तोह तेरी मूरत है
हर तरफ बस तू ही तू है
और तू कहती
"हम आज है कल नहीं है"

सुच तोह यह है सामने तोह तू आज भी नहीं
पर मेरी बेचैनी क्या आज भी कम है
तू हो सामने या कहीं दूर
मेरे नयनो में बसी तस्वीर तू है
केवल तू है केवल तू है

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