Monday, December 26, 2011

ए माँ तू इतनी महान क्यों है!!

ए माँ तू इतनी प्यारी क्यों हैं

मेरी ख़ुशी मेरे हर ग़म का हिस्सेदार क्यों है

तेरी हर बातो में मेरे लिए प्यार क्यों है

तेरी हर डांट में मेरे लिए छुपा प्यार क्यों है

माँ!! तेरे आंचल में इतना सकून क्यों है

तेरे आंचल में मेरा जहाँ महफूज क्यों है

तेरे प्यार में इतनी शक्ति क्यों है

दुनिया के तमाम वय्न्जानो एक तरफ

तेरे हाथो के सुखी रोटी में इतनी मिठास क्यों है

माँ!!मेरे मुस्कान से तेरे चेहरे पे मुस्कान

मेरे ग़म से तेरे आँखों में अश्रु क्यों है

तेरा प्यार झरने सा निरंतर क्यों है

तेरा प्यार सागर सा असीमित क्यों है

माँ!!तेरी हर बोली मिश्री सी मीठी क्यों है

तेरी हर बोली आशीर्वाद सा क्यों है

मै दुनिया में सबसे प्यारा, सबसे अच्छा

इसका एहसास इतना विश्वास तुझे क्यों है

ए माँ तू इतनी महान क्यों है

माँ तेरे प्यार में इतना दम क्यों है

ए माँ तू इतनी महान क्यों है

ए माँ तू इतनी महान क्यों है

Sunday, November 27, 2011

पर, क्या तुझे कल भी आएगी मेरी याद ?

चहु ओरे मौज का आलम तो होगा
मुस्कुराती रातो में चाँद तोह होगा
चहकते तेरे चेहरे पे हसी का ठिकाना ना होगा
बारिस के गिरती बूंदों में खनकता करलव तोह होगा
झूमते आकाश में बदलो की अंगड़ाई तो होगी
पर खुदा कसम तेरे बिन पूरा ना
खुदा कसम तेरे बिन पूरा ना होगा

पर, क्या तुझे कल भी आएगी मेरी याद

Thursday, October 27, 2011

तुम....

बदल दिया है उसने मेरा जहाँ
बना दिया इतना खुशनुमा समां
मन हज़ार करवटे लेता यहाँ
तेरा हाथ थामे चलते रहे हम सदा

तू अनजान तो नहीं मेरे प्यार से
बस एक तमन्ना है दिल की अब
एक आरजू सी बन गयी है अब
तेरा संग रहे सदा तमन्ना बन गयी है अब

जो बदला ये संसार मेरा तेरे कारण है
हर पल ख़ुशी का जो आलम तेरे कारण है
ये ख़ुशी तुझसे ये समां तेरे कारण है
ये बढ़ा महत्व तेरे कारण है

अंधेरो में था या अंधेरो की आदत थी हमे
जब उठा था हर भरोसा खुद से
जब था नहीं कोई अपना कहीं
लड़े जा रहे थे हम खुद से

एक 'दोस्त' मिला हमे उस वक़्त
तुम आई जिंदगी में उस वक़्त
हर मुस्किल में साथ थी तुम मेरे
हर ग़म में साथ थी तुम मेरे

तुम सुनती मेरी हर बात
मुस्कुराती समझती रही हर बात
तेरा साथ देने का तरीका भी कुछ अजीब था
'दोस्त' बन हर पल साथ देने का तरीका अजीब था
दुनिया जिसे मान चुकी नाकारा
'भरोसा' तुझे उसपे न जाने क्यों था

तेरी हर बातो में जो स्नेह पते थे हम
हर पल तुझे अपना समझ पाते थे हम
तुने आ के तस्वीर बदल दी हमारी
तुने आ के जिंदगी बदल दी हमारी
तुने आ के तकदीर बदल दी हमारी

तेरे भरोसे ने बना दिया हमे इस लायक
सर उठा के चल पाते है हम हर वक़्त
वोह तेरा प्यार ही था जो हर पल मेरे साथ था
वो तेरा विश्वास ही था जो मेरा विश्वास था

एक गुजारिश है तुझसे ए मेरे 'दोस्त'
हाथ थम ले मेरा चल मेरे संग हर ओर
हर ख़ुशी में हम संग मुस्कुराये
हर ग़म में एक-दूजे के संग हो जाये
हर पल तू रहे सदा मेरी
आखें खोलू तो बस तुझे पाऊ

नहीं चल सकता मैं तेरे बिना
नहीं रह सकता मैं तेरे बिना
नहीं हस सकता मैं तेरे बिना
नहीं जी सकता मैं तेरे बिना

क्यूँ

क्यों किसी के बात पे इस कदर विश्वास होता है
क्यों उसके संग अपनेपन का एहसास होता है
क्यों
वो पुरे भीड़ में अपना खास होता है
क्यों उसकी बात कर जाती है इतना दीवाना हमे
जब आँखें बंद करो उसके पास होने का एहसास होता है

क्यों उसकी
आँखों में खुद का चेहरा ढूँढते है हम
जब भी वो मुस्कुराता हमारे साथ होता है
ना जाने क्यों ये दिल बेताब होता है
उसका जाना धड़कने बढ़ा देता है
जाने क्यों उसका आना दीवाना बना देता है






Tuesday, October 11, 2011

कहीं दूर ना हो जाये तू मुझसे

तेरे साँसों में बसने की एक आरज़ू जो है इस दिल में
तू महक मेरी जीवन की बन जाये
जब खोलू मै अपनी आँखें सवेरे
तुझे मुश्कुरता अपने पास पाऊ
बेफिक्र है तू सदा मेरी मोहबत से ए मेरे नूर
बस तेरी मुस्कराहट दर्द-ऐ-दिल की दवा बन जाये

जब से दिल को ये यकीन हुआ तू साथ है मेरे,
वादे किये हमने तुझ संग जीने के,
तेरी आँखों के काजल को एक टक तकने के,
आलम बना ये मेरे जहाँ का जब से
बेचैन हो उठता मै रातो को, कहीं रूठ ना जाये तू मुझसे

तुझे चाहना मुक़मल जहाँ देता मुझे ,
तेरी आँखें अंधेरो में रोशिनी देरी मुझे,
जब भी होता ये मन उदास तू ख़ुशी देती मुझे
दर लगता इस दिल को कहीं दूर ना हो जाये तू मुझसे

कितनी मोहबत छिपी इस दिल में तेरे लिए
बयां करना मुस्किल है मेरे लिए
बस इतना सुम्झ ले ए बेखबर
तेरे बिन सांसें लेना मुश्किल है मेरे लिए

Saturday, August 27, 2011

यह उम्मीद कैसे!!!!!

उम्मीद ना जाने क्यों तुमसे
हर ख्वाब सजे जाने क्यों तुमसे
ना जाने क्यों हर दिन तुमसे
न जाने क्यों हर रात तुमसे

हज़ार रूकावटो, हज़ार बंदिशों के बाद
तुझे मुश्कुराते देखने का एक टक देखने का अरमां कैसे
भूल गया मैं खुद को कैसे
तुम मेरी कोई नहीं फिर उम्मीद कैसे

हर हदे तोड़ तुझे निहारने का
दो बातें करने करने का एहसास कैसे
तेरी हर मुश्कान मेरी हो ये अरमां कैसे
तू मुझे देखे ये ख्वाब कैसे

तेरे मेरे रास्तें हर रास्ते अलग
फिर यह उम्मीद कैसे
'तुझसे' इतनी उम्मीद कैसे
फिर मैं भुला अपनी हदे कैसे
फिर मैं भुला अपनी औकात कैसे
यही सच है बस हर ख्वाब पुरे नहीं होते ऐसे

Tuesday, August 23, 2011

पहचान

(मन था आज करू मैं खुद से बातें
दो पल रूबरू हो खुद से
खुद की करू मैं पहचान)

रुक--- रुक---- रुक
खुद की क्या पहचान करू
मैं तोह केवल एक जोकर हूँ
लोग हस्ते मुझपे लोगो को मैं हसता हूँ

मन करता इस जोकर का भी
कोई एक दिन आये
जो तन्हाई है जीवन में, उसे मिटाये
रुक रुक रुक ए मन मेरे, क्यों मिथ्या में तू जीता है
समय पड़े या तू मरे, किसी को फर्क क्या पड़ता है

हर शक्स आता तेरी दुनिया में
करता वादे संग जीने के
दो पल संग संग मुश्कुरता
खुद की असलियत तू भूल जाता
तेरी असलियत तोह दुनिया जाने
तू जाने अपनी रीत रे,क्यों भूल पड़ा तू खुद को
क्या तेरी औकात रे, तू तोह बस एक जोकर
हर मुशकुराती भीड़ में , तू बेचारा जोकर है

तेरा तोह बस यही मूल्य रहा
तुझे देख सब हसे,यही तेरा कर्त्तव्य रहा
यही तेरी औकात रही,यही तेरी बात रही

आज जो तेरे जीवन में आया है
जिसे पा तू इतना मुस्कुराया है
जिसे पा तेरा मन खुबसूरत बन पाया है
जिसे पा तू खुद पे इठलाया है
रुक जरा तो इस पल यहाँ, इशसे पहले तेरा मन
हजारो ख्वाबो के उड़ान भरे,या उसे पा तू कोई जज्बात भरे
तू ठहर जाना एक पल,कर ले खुद की पहचान तू इश वक़्त
तू बस एक जोकर है, तेरी बस ये ही अहमियत है

वोह तो जीने आया है अपने जीवन के चार पल यहाँ
तू एक पल का है साथी उसका फिर तेरी औकात कहाँ
वोह दिन भी आएगा जब तुझे छोड़ वोह खुद की दुनिया में मसरूफ हो जायेगा
तू एक बार फिर तनहा हो जायेगा
तू सोच इन सुनहरे पलो को , तनहा ही मुश्कुरायेगा
फिर तेरी औकात वही, फिर तेरी पहचान वही
तेरी पहचान यही बस तेरी औकात यही
तू तोह बस एक जोकर है, तू बेचारा जोकर है