Saturday, February 5, 2011

एक झूठ के संग जीना है

एक प्यारी सी गुडिया थी तू मेरी
हर पल में इठलाती मुशकुराती गुडिया थी तू मेरी
हर इंसानी रिश्तो से ऊपर मेरी प्यारी गुडिया थी तू मेरी
हर इंसानी रिश्तो से ऊपर दुलारी गुडिया थी तू मेरी
हाँ एक प्यारी गुडिया थी तू मेरी

जब जब तू मुशकुराती
हर रोज़ एक नए नाम से बुलाती थी
नखरो से भरे इठलाती थी
हर दर्द मैं भूल जाता था
तेरे बचपने में मैं भी बच्चा बन जाता था
तेरे संग मैं भी गुनगुनाता था

हर सुबह तेरी आवाज़ एक नया सवेरा लाती थी
हर नखरे हर हर हरकत में तू मुझको भाती थी
एक कविता सा तेरा प्यार मेरे दिल में तेरे लिए था प्यार अपार
मुशकुराती इठलाती हर पल में थी तू अनमोल
हर रिश्तो से ऊपर थी मेरे लिए तू चारो ओर

तेरा मुश्काना हर ग़म भुलाता था तेरा रोना हलचल सा मचाता था
समय बदला रिश्ते बदले फिर बदला यह संसार
इश फरेबी दुनिया ने बदला तेरा प्यार
दिखा दिया तुने दुनिया की रीत अलग नही तू भीड़ में
झूठ फरेब की दुनिया ने कर दिया तुझे बर्बाद

आम लोगो के भीड़ में मैंने भी भुला दिया तेरा प्यार
नही अब तू मेरे लिए कोई खास नही अब तू मेरे लिए कोई खास

आज खोया मैंने एक पवित्र रिश्ता है
तू नही कुछ मेरे लिए एक मैंने सोचा है
तेरे संग जीना अब एक झूठ के संग जीना है
एक झूठ के संग जीना है

7 comments:

  1. bahut sundar..........word varification hataa le

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  2. bohot hi achha likha hai...very touchy!!

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  3. behad pyari rachna
    dil ko bheetar tak chhoo gayi


    aabhaar
    shubh kamanayen

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  4. भावपूर्ण पंक्तियाँ.

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  5. आदरणीय,

    आज हम जिन हालातों में जी रहे हैं, उनमें किसी भी जनहित या राष्ट्रहित या मानव उत्थान से जुड़े मुद्दे पर या मानवीय संवेदना तथा सरोकारों के बारे में सार्वजनिक मंच पर लिखना, बात करना या सामग्री प्रस्तुत या प्रकाशित करना ही अपने आप में बड़ा और उल्लेखनीय कार्य है|

    ऐसे में हर संवेदनशील व्यक्ति का अनिवार्य दायित्व बनता है कि नेक कार्यों और नेक लोगों को सहमर्थन एवं प्रोत्साहन दिया जाये|

    आशा है कि आप उत्तरोत्तर अपने सकारात्मक प्रयास जारी रहेंगे|

    शुभकामनाओं सहित!

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
    सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    (देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
    फोन : 0141-2222225 (सायं सात से आठ बजे के बीच)
    मोबाइल : 098285-02666

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  6. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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