Saturday, February 5, 2011

कुछ अपने कुछ पराये सब के सब है धोखे

हर रिश्ते नाजुक सी डोर होते है
हर पल में कुछ अपने कुछ दूर होते है
हर उबाल हर जोश में कई भेद होते है
क्यों मान बैठते है हम अंजानो को अपना
जब की हर रिश्ते ही समय की भूल होते है
हर रिश्ते में छिपी एक आस होती है
क्यों हर रिश्ते में सुच की तलाश होती है

धोखा देना धोखा पाना झूठ फरेब में जीना
आज कल की रीत है
यह जानता हर शक्स हर शक्स में फरेब होते है
इंसानी रिश्तो की कदर नही इश दुनिया को
बस दिखावा के लिए हर बोल होते है
सुनते सुनाते हर पल जाते है
सच का पता चलते हर पर्र्वत हिल जाते है

प्यार मुहबत कहने को हर दिल में
असल में मतलब साधने के यह खेल होते है

जिनके मुह्स्कुराने से सुबह सी खिल आती है
हर बात पे उनको याद करना एक आदत सी बन जाती है
हर पल हर छन में जो आपके होते है
एक छोटे से झूठ के लिए
दिल में नासूर बन जाते है

है फरेबी दुनिया ये सब मतलब के नाते है
जानते हम सब सही फिर भी फस जाते है

मुझे गलत न सुम्झाना ए दुनिया वालो
पर सुच कहूँ तोह मुह बोले रिश्ते तोह क्या खून के रिश्ते भी बदल जाते है

यह दुनिया की रीत है
सागर की लहरू में बहता है हर नाता एक प्रीत है
कोई संग आता कोई मझदार में मिलता
कुछ मांझी बनते जीवन पर्यंत है
कुछ लहरू में छुट जाते है तोह कुछ खुद से खो जाते है

हर इंसान है करता गलती इंसान को सुम्झने में
पर बार बार यह गलती करना इंसानी रीत है
ग़म नही मुझे इश बात का धोका दिया किसी ने
ग़म इश बात का है उसे अपने जिगर का टुकड़ा माना

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