Tuesday, October 11, 2011

कहीं दूर ना हो जाये तू मुझसे

तेरे साँसों में बसने की एक आरज़ू जो है इस दिल में
तू महक मेरी जीवन की बन जाये
जब खोलू मै अपनी आँखें सवेरे
तुझे मुश्कुरता अपने पास पाऊ
बेफिक्र है तू सदा मेरी मोहबत से ए मेरे नूर
बस तेरी मुस्कराहट दर्द-ऐ-दिल की दवा बन जाये

जब से दिल को ये यकीन हुआ तू साथ है मेरे,
वादे किये हमने तुझ संग जीने के,
तेरी आँखों के काजल को एक टक तकने के,
आलम बना ये मेरे जहाँ का जब से
बेचैन हो उठता मै रातो को, कहीं रूठ ना जाये तू मुझसे

तुझे चाहना मुक़मल जहाँ देता मुझे ,
तेरी आँखें अंधेरो में रोशिनी देरी मुझे,
जब भी होता ये मन उदास तू ख़ुशी देती मुझे
दर लगता इस दिल को कहीं दूर ना हो जाये तू मुझसे

कितनी मोहबत छिपी इस दिल में तेरे लिए
बयां करना मुस्किल है मेरे लिए
बस इतना सुम्झ ले ए बेखबर
तेरे बिन सांसें लेना मुश्किल है मेरे लिए

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